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राजनीतिक गलियारों में एक कहावत बेहद मशहूर है ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर। आज की राजनीतिक परिपाटी में जहां बड़े से बड़े नेता अपने जरा से लाभ के लिए अपनी पुरानी पार्टी को छोड़ नई पार्टी में शामिल हो जाते हैं, वहीं पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्रा राजनीति में एक ऐसा नाम है जो लंबे अरसे से न सिर्फ कांग्रेस के साथ हैं बल्कि बखूबी कांग्रेस का साथ निभा रहे हैं। भूधर जी का राजनीतिक सफर बेहद लंबा रहा है, भूधर नारायण मिश्रा जी ने राजनीति की शुरुआत कानपुर के यूथ जिलाध्यक्ष (कांग्रेस) के पद से की। इंदिरा गाँधी जी से प्रोत्साहित होकर भूधर जी राजनीति में आए। इमरजेंसी के दौरान इंदिरा जी ने राजाओं का प्रभुत्व समाप्त करने एवं बैंकों का नवीनीकरण करने की योजना बनाई जिसका इन्होंने बढ़ चढ़ कर समर्थन किया। 1977 में चुनाव हारने के बाद इमरजेंसी के समय भूधर जी को जेल में जाना पड़ा।