आल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन एलाइए विधि सम्मत संगठन अभिकर्ताओं का जो अभिकर्ता हितों के लिए सदैव तत्पर हैं. सभी जानते हैं अभिकर्ता. पालसीधारक एवं संस्था हितों के लिए इस आंदोलन के रूप में. साथियों ध्यान दें, संगठन ने भारतीय जीवन बीमा निगम के उच्च प्रबंधन को अभिकर्ताओं द्वारा निर्मित 22 सूत्री चार्टर आफ डिमांड दिनांक 16 जुलाई 2003 को सौंपा, जिसके मंजूरी की मांग को लेकर संगठन ने दिसंबर 2004 से लगातार विभिन्न स्वरूपों में आंदोलनकारी के रूप में आंदोलन करता रहा है. आज भी आंदोलन अभिकर्ता जन जागरूकता अभियान के रूप में जारी हैं.
साथियों भारतीय जीवन बीमा निगम उच्च प्रबंधन ने 22 सूत्री मांगों में जैसे कॉलम नंबर 6, 8, 9, 12, 14, 15, 18 को पूर्णरूपेण एवँम कुछ को आंशिक रूप से मान लिया है लेकिन साथियों अत्यंत दुख तब होता है जबकि अभिकर्ता इतने संघर्ष के बावजूद अपनी हितो की लड़ाई में भाग नहीं लेता न तो उसे प्रेषित चार्टर आफ डिमांड की जानकारी ही होती है, पूछने पर उनका सीधा जवाब होता है कि हमें जानकारी ही नहीं है यह विश्वास करने योग्य कैसे माना जा सकता है? जबकि डिवीजन के तहत अभिकर्ताओं द्वारा आंदोलनात्मक कार्यवाही क्षेत्रीय स्तरों पर, मंडलीय स्तरो पर आंदोलनात्मक कार्यवाही वर्षों से लगातार धरना प्रदर्शन, मानव श्रृंखला, अनशन ,काला दिवस, शंखनाद, सामाजिक बहिष्कार, जुलूस, पुतला दहन, डिविजनों का घेराव, क्षेत्रीय कार्यालयों का घेराव जिसकी सूचना संगठन द्वारा बड़े-बड़े पोस्टरों, हैण्ड बिलो एवं पेपर मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से आप तक पहुंचाया जा रहा है लेकिन अभिकर्ता क्रांतिकारी साथियों के अलावा क्या आप अपनी लड़ाई में भाग लेना सुनिश्चित करते हैं? क्या आप नहीं जानते हैं कि पूरे देश में अभिकर्ता हितों के रक्षार्थ संघर्ष करने वाला मात्र एक जीवंत संगठन है जो कि वेतन भोगियों के समान समस्त सुविधाओं की मांग को लेकर संघर्षरत है. आप जाने संगठन को कमजोर करने के कारण ही आज आपने इस संस्था को अपने खून पसीने से सींच कर एशिया की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था बनाया है. उसमें आप की स्थिति क्या है दीन हीन लाचार कि जैसे सम्मान का अभाव आपका भविष्य असुरक्षित, कार्यालयों से लेकर पालसीधारको तक अपमान का सामना करना पड़ता है.
जैसे आप सभी जानते हैं निगम का अधिकारी अध्यक्ष क्लब सदस्य एमडीआरटी, सीओटी, टीओटी करने वाले अभिकर्ताओ या सीयलआइए को रीड की हड्डी कहते हैं, आप अपने दिल से पूछे कोई भी कर्मी आपका अभिवादन करता है दिल की आवाज होगी नहीं तो फिर सोचे अन्य अभिकर्ताओं के रूप में आप की स्थिति क्या है लेकिन मेरा यह दावा है कि संगठन से दूर रहने वाले अभिकर्ताओं से संगठन से जुड़े अभिकर्ताओं की दशा बेहद अच्छी होती है यह जानना है तो संगठन से जुड़े क्रांतिकारी अभिकर्ताओं से मिलकर बात करें. छोड़िए साथियों पीछे की बातें क्योंकि हम लोग एक संगठन के सजग प्रहरी हैं. अगर हम अपनी दास्तान लिखेंगे तो कागज और पेन की स्याही कम पड़ जाएगी, लेकिन अपने कार्यों की अभिव्यक्ति खत्म नहीं होगी.
साथियों आज भी हम सभी को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है, अपनी वेदना को दर्शाने का मात्र एक ही हमारा उद्देश्य है कि आप कल नहीं आज फिर अभी से नैतिकता से ओतप्रोत सिपाही के समान संगठन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु लग जाए. बिना इसकी प्रवाह किए कि एक मेरे सोचने और प्रयास करने से क्या होता है यही कारण है मुख्यतः व्यक्त संगठन को कमजोर करने का. साथियों इसे दूर करके आमूलचूल परिवर्तन अपने अंदर लाकर व्यक्ति के रूप में अपने को संगठन के रूप में साथियों को जोड़ कर अपने मान सम्मान सहित अपने भविष्य को संजोया जा सकता है. साथ ही अपने को कमजोर करने वाली शक्तियों को पराजित किया जा सकता है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपका स्नेह सहयोग तन मन धन से संगठन को प्राप्त होगा और हम अपने हितों को सजोने में सक्षम होंगे. मेरी बाबा विश्वनाथ से यही कामना है कि आप सदैव सकुशल संपूर्ण एवं प्रसन्न हृदय सहित आगे बढ़ने की सोच के साथ अग्रसर रहें. स्वस्थ रहें. यही मेरी शुभकामनाएं हैं.
सधन्यवाद
आपका
एस एल ठाकुर
राष्ट्रीय अध्यक्ष (ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट एसोसिएशन)