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भूधर नारायण मिश्रा-श्रीनिवास रामानुजन जी जयंती श्रीनिवास रामानुजन जी जयंती श्रीनिवास रामानुजन जी पर उन्हें शत शत नमन

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  • Bhudhar Narayan Mishra Bhudhar Narayan Mishra
  • December-22-2021

22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर महान मैथमेटिशियन श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्मदिन होता हैं। श्रीनिवास रामानुजन गणित विषय में अधिक रुचि रखते थे। 1918 में ट्रिनिटी कॉलेज की सदस्यता प्राप्त करने वाले रामानुजन, ऐसा करने वाले पहले भारतीय थे। गणित में अपने योगदान से उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी।

जीवन परिचय-

 श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 1887 को मद्रास के इरोड में हुआ था। उनके पिताजी श्रीनिवास अयंगर, एक स्थानीय कपड़े की दुकान में मुनीम थे। उनकी माता जी का नाम कोमलताम्मल था। 1 वर्ष की आयु में अपने परिवार के साथ कुंभकोणम में आकर बस गए। उनका विवाह 22 वर्ष की उम्र में अपने से 10 साल छोटी जानकी से हुआ।

गणित में योगदान –

वे हर कक्षा में गणित विषय को ज्यादा ध्यान देते थे, जिसके कारण कक्षा 11 वीं में वो गणित को छोड़कर हर विषय में फेल हो गए। और परिणामस्वरूप उनको छात्रवृत्ति मिलनी बंद हो गई। बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण न होने की वजह से इन्हें नौकरी नहीं मिली और उनका स्वास्थ्य भी बुरी तरह गिर गया।

कुछ समय बाद उनकी मुलाकात प्रोफेसर हार्डी से हुई, और इनके प्रयासों से रामानुजन को कैंब्रिज जाने के लिए आर्थिक सहायता मिल गई। रामानुजन ने इंग्लैण्ड जाने के पहले गणित के करीब 3000 से भी अधिक नये सूत्रों को अपनी नोटबुक में लिखा था।

रामानुजन ने लंदन की धरती पर कदम रखा। इंग्लैण्ड में रामानुजन को बस थोड़ी परेशानी थी और इसका कारण था उनका शर्मीला, शांत स्वभाव और शुद्ध सात्विक जीवनचर्या। इसके बाद वहां रामानुजन को रॉयल सोसाइटी का फेलो नामित किया गया। रॉयल सोसाइटी की सदस्यता के बाद यह ट्रिनीटी कॉलेज की फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय भी बने। स्वास्थ ठीक न होने के कारण उनको भारत लौटना पड़ा, भारत आने पर इन्हें मद्रास विश्वविद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी मिल गई। और रामानुजन अध्यापन और शोध कार्य में पुनः रम गए।

अपनी बीमारी की दशा में भी इन्होने मॉक थीटा फंक्शन पर एक उच्च स्तरीय शोधपत्र लिखा। रामानुजन द्वारा प्रतिपादित इस फलन का उपयोग गणित ही नहीं बल्कि चिकित्साविज्ञान में कैंसर को समझने के लिए भी किया जाता है।

मृत्यु

इनका गिरता स्वास्थ्य सबके लिए चिंता का विषय बन गया और डॉक्टरों ने भीजवाब दे दिया था। अंत में मात्र 33 वर्ष की उम्र में रामानुजन के विदा की घड़ी आ ही गई। 26 अप्रैल1920 के प्रातः काल में वे अचेत हो गए और दोपहर होते होते उन्होने प्राण त्याग दिए।

 

 

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